जी हां, ये
पोर्न का वो नया स्वरूप है जो दिखाई नहीं देता…सुनाई देता
है। यानी…ऑडियो पोर्न।
ये पोर्नोग्राफी का वो बदला हुआ चेहरा है जो भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में अभी सरकारों और कानूनों के
शिकायत और कार्रवाई के दायरे से बाहर है। अमेरिका में इस तरह की ऑडियो सेक्स
स्टोरीज सुनाने वाले ऐप्स 2019 के पहले से हैं।
भारत में भी ये ऐप गूगल प्ले स्टोर और ऐपल स्टोर पर उपलब्ध
हैं। मगर पोर्न के इस चेहरे को म्यूजिक और पॉडकास्ट स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स ने
तेजी से प्रचारित किया है। दरअसल, स्पॉटिफाई जैसे इन प्लेटफॉर्म्स पर कोई भी व्यक्ति एक प्रोफाइल तैयार कर
अपना पॉडकास्ट स्ट्रीम कर सकता है।
इस पॉडकास्ट का कंटेंट क्या है और इसे कौन सुन पाएगा, इस पर स्पॉटिफाई की मॉनिटरिंग कागजों पर तो
है, लेकिन वास्तविकता में नहीं है। पॉडकास्ट्स की भीड़ में कई
ऑडियो पोर्न परोसने वाले मौजूद हैं।
IT एक्ट के मुताबिक किसी भी तरह का अश्लील कंटेंट पोर्न की
श्रेणी में आता है। चाहे वह तस्वीरों या वीडियो में हो, टेक्स्ट
में हो या ऑडियो में, लेकिन अब तक ऑडियो कंटेंट के मामले में
सिर्फ आपत्तिजनक वॉयस मैसेज जैसी चीजें ही शिकायतों के दायरे में आई हैं।
जानिए, क्या है पोर्नोग्राफी का ये नया चेहरा…क्यों ये तेजी
से फैल रहा है और क्यों अब तक भारतीय कानून इस पर खामोश है।
पहले देखिए, भारत में कैसे फैल रहा है ऑडियो पोर्न का बाजार
सिर्फ सेक्स स्टोरीज सर्च करने भर से मिलते हैं सैकड़ों अश्लील पॉडकास्ट
भारत में पॉडकास्ट स्ट्रीम करने वाले
प्लेटफॉर्म्स में यूजर बेस के लिहाज से स्पॉटीफाई सबसे बड़े प्लेटफॉर्म्स में है।
इस प्लेटफॉर्म पर आप सर्च ऑप्शन पर जाकर अपनी पसंद का गाना, कलाकार या पॉडकास्ट ढूंढ सकते हैं, मगर इस सर्च ऑप्शन पर सिर्फ ‘सेक्स स्टोरीज’ जैसा की-वर्ड डालकर सर्च करें तो सैकड़ों ऐसे पॉडकास्ट मिल जाते हैं जो
ऑडियो पोर्न परोसते हैं।
यह कंटेंट सेक्शुअल हेल्थ से जुड़े पॉडकास्ट्स से इतर है।
इसमें इरोटिक ऑडियो स्टोरीज से लेकर सेक्शुअल एक्ट के नरेशन तक सब कुछ परोसा जा
रहा है। कुछ पॉडकास्ट एपिसोड्स में तो रेप का नरेशन तक मौजूद है।
अमेरिका में पहली बार डेडिकेटेड ऐप बने…ये अब भारत में भी उपलब्ध
2019 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने क्विन ऐप की
फाउंडर कैरोलाइन स्पिगेल और डिपसी ऐप की फाउंडर जीना गुटिरेज पर एक स्टोरी की थी।
ये दोनों ऐप ऑडियो पोर्न ही परोसते हैं।
डिपसी सब्स्क्रिप्शन आधारित ऐप है, जबकि क्विन यूजर्स से कोई चार्ज नहीं लेता।
खास बात ये है कि अब ये दोनों ऐप भारत में गूगल प्ले स्टोर और ऐपल स्टोर पर उपलब्ध
हैं। सिर्फ यही नहीं, इस तरह का ऑडियो सेक्शुअल कंटेंट
परोसने वाले और भी ऐप उपलब्ध हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स से बातचीत में क्विन ऐप की फाउंडर
कैरोलाइन ने बताया था कि उनका टारगेट यूजर ग्रुप 24 से 35 वर्ष की महिलाएं हैं। जबकि डिपसी
की फाउंडर जीना ने माना था कि ऐप के यूजर्स में पुरुषों की संख्या ज्यादा है।
लीगल एक्सपर्ट कहते हैं…पोर्न का हर स्वरूप अवैध, शिकायत नहीं हुई इसीलिए कार्रवाई नहीं हुई
IT एक्ट के जानकार वकील पवन दुग्गल कहते हैं
कि भारतीय कानून में पोर्न का हर स्वरूप अवैध है। फिर चाहे वह तस्वीरों और वीडियो
के रूप में हो, पब्लिश्ड या मोबाइल मैसेज में टेक्स्ट हो या
किसी भी तरह का ऑडियो हो।
अब सवाल उठता है कि अवैध होने के बावजूद अब तक ऑडियो पोर्न
पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ क्रिमिनल लॉयर अशोक पांडे कहते हैं कि
डिजिटल माध्यम में ऐसे किसी भी कंटेंट पर कार्रवाई तभी हो पाती है जब शिकायत की
जाए।
उदाहरण के लिए भारत में पोर्न वेबसाइट्स पर पूरी तरह
प्रतिबंध है। मगर ऐसी प्रतिबंधित वेबसाइट्स की लिस्ट में 924 नाम ही हैं। ये 924 वेबसाइट्स वो हैं जिनके खिलाफ या तो IT डिपार्टमेंट
को शिकायत मिली या फिर किसी कोर्ट में इन्हें बंद करने की याचिका दायर की गई। आखिरी
बार सितंबर, 2022 में 67 पोर्न
वेबसाइट्स को बैन करने का आदेश दिया गया था।
यह बात सभी जानते हैं कि पोर्न साइट्स की संख्या इससे कहीं
ज्यादा है। गूगल सर्च सिर्फ पोर्न की-वर्ड सर्च करने पर लाखों वेबसाइट्स मिलती
हैं। मगर इनमें से कार्रवाई उन्हीं पर हो पाती है, जिनकी शिकायत होती है।
वकील अशोक पांडे कहते हैं कि स्पॉटिफाई या ऐसे दूसरे
प्लेटफॉर्म्स जो ऑडियो पोर्न वाले पॉडकास्ट स्ट्रीम करते हैं, वे भी कानून तोड़ रहे हैं। लेकिन अब तक किसी
ने इस बात की शिकायत नहीं की।
सबसे बड़ा सवाल…क्या स्पॉटिफाई भी पोर्न प्रसारित करने का दोषी?
IT एक्ट में संशोधन के बाद अब कोई भी सोशल मीडिया कंपनी अपने
प्लेटफॉर्म पर आने वाले कंटेंट से पल्ला नहीं झाड़ सकती।
पहले ये सभी प्लेटफॉर्म खुद को इंटरमीडियरी बताते हुए साफ
कहते थे कि अपलोड होने वाले कंटेंट के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं, लेकिन अब ट्विटर, इंस्टाग्राम,
फेसबुक और वॉट्सऐप भी प्रसारित होने वाले कंटेंट के लिए सीधे
जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं।
यही वजह है कि ये सभी प्लेटफॉर्म हर महीने सरकार को एक
कंप्लाएंस रिपोर्ट देते हैं, जिसमें वह बताते हैं कि आपत्तिजनक कंटेंट की किस तरह की और कितनी शिकायतें
उन्हें मिलीं और उन्होंने क्या कार्रवाई की।
भारत में गाना, सावन, विंक और स्पॉटिफाई जैसे ऐप्स को
मुख्यत: म्यूजिक स्ट्रीमिंग ऐप्स माना जाता है। मगर इसमें स्पॉटिफाई समेत कुछ ऐप
ऐसे भी हैं जो पॉडकास्ट्स भी स्ट्रीम करते हैं।
उदाहरण के लिए स्पॉटिफाई पर कोई भी व्यक्ति अपना प्रोफाइल
बनाकर पॉडकास्ट अपलोड कर सकता है। इस पॉडकास्ट को ऐप के यूजर्स सुन सकते हैं। ऐसे
में पॉडकास्ट को भी सोशल मीडिया के टूल में गिना जाता है।
इस परिभाषा के तहत पॉडकास्ट स्ट्रीम करने वाले ऐप भी बाकी
सोशल मीडिया कंपनियों की तरह इंटरमीडियरी की आड़ में नहीं छुप सकते हैं।
स्पॉटिफाई कंटेंट न सुनने और शिकायत का ऑप्शन देता है…मगर इनका कोई रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं करता
स्पॉटिफाई अपनी पॉलिसी में कहता है कि कोई भी
व्यक्ति प्लेटफॉर्म पर एक्सप्लिसिट कंटेंट न अपलोड करे, लेकिन साथ ही वह ये भी स्पष्ट कहता है कि
प्लेटफॉर्म पर अपलोड होने वाले ऑडियो के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। हालांकि,
वह यूजर्स को यह ऑप्शन देता है कि वह चाहें तो इस तरह का
एक्सप्लिसिट कंटेंट न सुनें।
इसके लिए यूजर को ऐप का फैमिली प्लान लेना होता है। इसके
बाद उसके सर्च ऑप्शन में इस तरह के कंटेंट नहीं आएंगे। लेकिन इस प्लान को
सब्स्क्राइब करने वालों को भी सर्च में इस तरह का अश्लील कंटेंट मिलता है। ‘आइटम सॉन्ग’ जैसे
की-वर्ड पर सर्च से भी एक्सप्लिसिट कंटेंट मिलता है।
स्पाटिफाई ने यूजर्स को इस तरह के कंटेंट की शिकायत करने का
ऑप्शन भी दिया है। इसके तहत आप ये भी बता सकते हैं कि आपत्तिजनक कंटेंट किस
कैटेगरी का है। इसमें सेक्शुअली ऑफेंसिव से अब्यूसिव तक की कैटेगरी बनी हुई है।
लेकिन स्पॉटिफाई इस पर कोई रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करता है कि उसे कितनी शिकायतें
मिलीं और उसने क्या कार्रवाई की।
ऑडियो पोर्न पर भारत ही नहीं, दुनिया भर में कानूनी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं
सेक्शुअल कंटेंट वाली ऑडियो क्लिप या
पॉडकास्ट पोर्न की कैटेगरी में आती है या नहीं, इस पर सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया भर में अस्पष्टता है।
क्विन ऐप पर जो ऑडियो स्टोरीज दी जाती हैं, उसके लिए कंटेंट कॉन्ट्रीब्यूटर्स यानी
राइटर्स से लेकर वॉयस ओवर आर्टिस्ट तक सबको जोड़ा जाता है। इसका समर्थन करने वाले
कहते हैं कि यह पोर्न सिर्फ इरॉटिक स्टोरीज हैं।
क्विन की संस्थापक कैरोलाइन कहती हैं कि यदि पोर्न वीडियो
या तस्वीरें देखते हुए कोई सार्वजनिक स्थान पर मिलता है तो यह सभी के लिए असहज
स्थिति होती है, लेकिन ऑडियो कंटेंट को कोई
भी कहीं भी हेडफोन लगाकर सुन सकता है। बगल में बैठे व्यक्ति को यह कभी असहज नहीं
लगेगा।
भारत में कभी भी ऑडियो पोर्न को लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं
कराई गई है। इस श्रेणी में सिर्फ सेक्शुअली ऑफेंसिव वॉयस मैसेज ही शिकायतों में
दर्ज हुए हैं।
वकील अशोक पांडे और पवन दुग्गल कहते हैं कि अगर कोई भी
प्लेटफॉर्म किसी भी स्वरूप में पोर्न कंटेंट परोस रहा है तो वह कानून तोड़ रहा है।
शिकायत हो तो कानून के तहत कार्रवाई भी होगी।